म्यांमार की सरकार और सेना अपने ही देश के रखाइन प्रांत में रहने वाले रोहिंग्याओं को अपना नागरिक नहीं मानती है। रोहिंग्याओं को म्यांमार से भगाया जा रहा है। सरकार और सेना उन पर आतंकवादी होने का आरोप लगा रही है। भारत ने भी रोहिंग्याओं शरणार्थियों को लेकर इसी तरह की आशंका जाहिर की है। आइए जानते हैं क्या है रोहिंग्याओं का टेरर कनेंक्शन...
क्या सच में आतंकवादी हैं रोहिंग्या
दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुजीत कुमार बताते हैं कि रोहिंग्या आतंकवादी नहीं हैं। जब उन पर अत्याचार हुए, सेना ने उनका दमन किया तो अराकान रोहिंग्या सैल्वेशन आर्मी नाम (ARSA) से एक संगठन का जन्म हुआ। इस संगठन ने सेना के दमन के खिलाफ हथियार उठाए। इन्हीं लोगों ने म्यांमार की आर्मी पर हमला किया, जिसमें 12-13 सैन्यकर्मी मारे गए। यही नहीं एआरएसए ने अपने इस कृत्य की जिम्मेदारी भी ले ली। इसके बाद म्यांमार की आर्मी ने इन पर कार्रवाई और तेज कर दी, जिसकी वजह से अब उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ रहा है।
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अचंभे में डालने वाली है रोहिंग्या मुसलमानों पर नोबेल पुरस्कार पाने वाली 'सू की'...
डॉ. सुजीत भी मानते हैं कि एआरएसए ने सेना के खिलाफ हड़बड़ी में कदम उठाया । वे कहते हैं कि यह भी कुछ मुट्ठीभर लोग ही हैं। किसी भी समाज में कुछ उपद्रवी तत्व तो होते ही हैं, लेकिन उनकी वजह से पूरे समाज को आतंकवादी घोषित करना ठीक नहीं है। हालांकि उन्होंने रोहिंग्याओं को भारत में शरण देने को लेकर भारत सरकार की चिंता को भी जायज ठहराया।
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