Skip to main content

शरद यादव को राज्यसभा मे जेडीयू के संसदीय दल के नेता पद से हटाया

Thanks for reading

नई दिल्ली जनता दल यूनाईटेड के पूर्व अध्यक्षशरद यादव को राज्यसभा
 में जेडीयू के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया गया है। उनके स्थान पर आरसीपी सिंह को यह जवाबदारी सौंपी गई है। माना जा रहा है कि पार्टी शरद यादव को लेकर कड़ा रूख अपना रही है। गौरतलब है कि जेडीयू के अध्यक्ष पहले ही कह चुके हें कि शरद यादव को जिस ओर जाना हो चले जाऐं पार्टी अपना निर्णय ले चुकी है। दूसरी ओर पार्टी के संसदीय दल के नेता को चुनने के बाद जेडीयू के सांसदों ने उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू से भेंट की।
हालांकि शरद यादव को राज्यसभा में जेडीयू संसदीय दल के नेता के पद से हटाने के मामले में पार्टी की ओर से कहा गया है कि शरद यादव को रिप्लेस किया गया है। दूसरी ओर राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सीएमनीतीश कुमार को अपने घर दिल्ली में चाय पर बुलाया। शरद यादव ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की। जानकारी मिली है कि अमित शाह ने सीएम नीतीश कुमार को एनडीए में भागीदारी करने के लिए निमंत्रित किया है।
इस मामले में बीजेपी प्रेसिडेंट ने शाह ने ट्वीट भी किया और लिखा कि नेशनल प्रेसिडेंट नीतीश कुमार से अपने घर पर मुलाकात हुई। मैंने उन्हें जेडीयू को एनडीए में शामिल करने का न्योता दिया है। मैंने उन्हें अपने घर चाय पर बुलाया था।उल्लेखनीय है किबिहार में जेडीयू व भाजपा गठबंधन की सरकारबनाने और कांग्रेस व आरजेडी के महागठबंधन से अलग होने पर शरद यादव ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी मगर सीएम नीतीश कुमार ने शरद यादव को समझाया था।
जिसके बाद उन्होंने प्रारंभिक तौर पर बात मान ली थी लेकिन वे राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस के साथ रहना चाहते थे। सीनियर बीजेपी लीडर्स के मुताबिक गुड गवर्नेंस और ईमानदारी के लिए नीतीश जाने जाते हैं। ऐसे में एनडीए के खिलाफ एक यूनाइटेड अपोजिशन को तैयार करने में मुश्किल आएगी। दूसरी ओर बिहार में जेडीयू के साथ आने से भारतीय जनता पार्टी मजबूत होगी। साथ ही राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष के पास कोई नेता भी नहीं है।

Comments

Popular posts from this blog

History of Bhati Vansh【भाटी वंश का इतिहास】

भाटी  अथवा "भट्टी" • भारत और पाकिस्तान के राजपूत कबीले है . •भाटी राजपूत (जिसे बरगला भी कहा जाता है) चंद्रवंशी मूल के होने का दावा करता है। •भाटी कबीले द्वारा कभी-कभी अपने पुराने नाम "यादवपती" , जो कृष्ण और यदु या यादव से उनके वंश को दर्शाते थे,का भी प्रयोग किया जाता है। •12 वीं सदी में भाटी राजपूत ने जैसलमेर पर शासन किया। ये लोग ऊंट सवार, योद्धाओं और मवेशी चोरी और शिकार के शौकीन थे। रेगिस्तान में गहरे स्थित होने के कारण, जैसलमेर भारत में मुस्लिम विस्तार के दौरान सीधे मुस्लिम आक्रमण से बच गया था लेकिन अंततः मुसलमानों ने उन्हें हराया था। • कुछ भाटी खानाबदोश मवेशी रखने वाले थे। 1857 के विद्रोह से पहले के कुछ वर्षों में, इन समूहों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा किए गए फैसलों के कारण अपनी जमीन खो दी थी, जो कि जाट किसानों को चराई वाले भूमि को पूर्व में दिल्ली और हरियाणा क्षेत्रों में भाटियों द्वारा आवृत करती थी। • राजस्थान के भाटी राजपूत में से कुछ ,उन समुदायों में शामिल थे जो 1883-1998 के बीच कन्या शिशु ह्त्या करते थे। दीपालपुर में हिंदू भाती राजपूत स...

रावणा राजपुत का इतिहास

Ravna Rajput【रावणा राजपुत】 इतिहास :- प्राचीनतम आर्य संस्कृति के क्षत्रिय वर्ण का मुख्य दायित्व सुरक्षा एवं शासन करना था। सुरक्षा की दृष्टि से शत्रुओं से युद्ध करके राज्य के अस्तित्व को बनाये रखना और प्रजा की रक्षा करना  तथा शासन की दृष्टि से प्रजा की सेवा करना क्षत्रियों का परम कर्तव्य था।  ये ही क्षत्रिय वर्ण के लोग अनगिनत जातियों में विभक्त हो गए। राजपूत जाति उनमें से एक है। आर्य संस्कृति के चारों वर्ण जब भिन्न भिन्न जातियों में विभाजित होने लगे, तब हिन्दू संस्कृति का  प्रादुर्भाव हुआ।  आज जाति व्यवस्था हिन्दू धर्म के प्रमुख लक्षणों में से एक महत्वपूर्ण लक्षण है। जिसमे ऊँच-नीच छूत अछूत जैसी बुराईयाँ व्याप्त है।  कालांतर में राजपूत जाती में भी अनेक जातियां  निकली। उस व्यवस्था में रावणा राजपूत नाम की जाति राजपूत जाति में से निकलने वाली अंतिम जाती है, जिसकी पहचान के पूर्वनाम दरोगा, हजुरी वज़ीर     आदि पदसूचक नाम है। राजपूत जाति से अलग पहचाने जाने वाली इस जाति प्रारंभिक काल मुग़ल शासन है।  भारत में अंग्रेजी शासन के उस काल में जबकि अनेक सम...